तुम्हारी बंद जुल्फों में
छुपा गहरा सा
राज है
इस राज को
आज़ाद कर दो ना
तुम्हारी ललाट पर
छिपका बिंदी का
साज है
इस साज को
श्रृंगार कर दो ना
कई मुद्दतों से
हम मिले
आज है
इस आज को
अनवरत कर दो ना
छुपा गहरा सा
राज है
इस राज को
आज़ाद कर दो ना
तुम्हारी ललाट पर
छिपका बिंदी का
साज है
इस साज को
श्रृंगार कर दो ना
कई मुद्दतों से
हम मिले
आज है
इस आज को
अनवरत कर दो ना
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