देह-नश्वर किन्तु कृति के, रूप मे तुम तो अमर हो
हर हृदय मे ध्येय-निष्ठा की, तुम्ही उठती लहर हो
हे केशव तुम्हे प्रणाम........
पूर्ण करेंगे हम सब केशव ! वह साधना तुम्हारी!!
आत्म हवन से राष्ट्र्देव की आराधना तुम्हारी
निशि दिन तेरी ध्येय - चिंतना
आकुल मन की तीव्र वेदना
साक्षात्कार ध्येय का हो
यह मन कामना तुम्हारी
कोटी कोटी हम तेरे अनुचर
ध्येय मार्ग पर हुए अग्रसर
होगी पूर्ण सशक्त राष्ट्र् की
वह कल्पना तुम्हारी
तुझसी ज्योती हृदय में पावें
कोटी - कोटी तुझसे हो जावें
तभी पूर्ण हो राष्ट्र्देव की
वह अर्चना तुम्हारी!!
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें