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हँसी हँसी भांजै देखि | कवि पद्माकर | हिंदी कविता

पद्माकर का एक पद जो मेरा पसंदीदा है....पद हिमाचल के घर रचे गए विवाह समारोह में दूल्हा बनकर आये शिवजी की नग्नता का परिहास है...आप भी मजा लीजिये

हँसी हँसी भांजै देखि दूलह दिगम्बर को
पाहुनि जै आवै हिमाचल के उछाव में !
कहे पद्माकर यू सोकाहु सो कहे को कहा
जोई जहाँ देखै सो हंसे है तांई राह में !
मगन भये ईस हंसे नगन महेश ठाढ़े
और हंसे एऊ हंसी हंसी के उमाह में !
शीश पर गंगा हंसे भुजनि भुजंगा हंसे
हास ही को दंगो भयो नंगा के विवाह में !!

टिप्पणियाँ

  1. महादेव जी अलंबन है क्योंकि उन्हीं को देखकर हंसी आती है उनकी विलक्षण वेश भाषा दशरथ की उपाधि है अतिथि स्त्रियों का हंसना भागना खड़ा रह जाना आदि अनुभव है मैं हर्ष और चपलता संचारी भाव है इन के सहयोग से हास रस की निष्पत्ति हुई है

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  2. Nice 😅🤣😴🤒😪😱😭

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  3. Kon konsa ye 22 Feb ke liye udharan learn kr raha hai?

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